कौशिकी को कौशिक बड़े प्यार से देखते हैं तो कौशिकी पुछती हैं कि ऐसे क्या देख रहे हैं स्वामी तो कौशिक बोलते हैं कि मैं एक सती का असली रूप देख रहा हूँ अगर तुम मेरी पत्नी नहीं होती तो मेरा क्या होता कब का मेरा शरीर सड़ गया होता और मैं आत्म हत्या कर लिया होता किसी ने बताया कि हिमालय के तराई में एक तालाब है जहाँ स्नान करने से ये रोग ख़त्म हो जाता है परंतु मैं कैसे जा पाऊंगा मुझे चलने की शक्ति नहीं है कौशिकी बोलती है कि मैं आपकी शक्ति हूँ स्वामी मैं आपको लेकर जाऊंगी वहां पर और चल देते हैं दोनों पति पत्नी और रास्ते जाते समय अनजाने में माण्डव रिषि का ख़म्भा हिल जाता है और उनका ध्यान भंग हो जाता है और श्राप दे देते हैं कौशिक को की सूर्योदय के पहले मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे फिर कौशिक और कौशिकी क्षमा मांगते रहते हैं लेकिन माण्डव ऋषि नहीं सुनते हैं |
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है | कौशिक अपनी पत्नी से बोलते हैं कि अब मेरा जीवन सूर्योदय तक ही है मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा तुम्हारे साथ आधा अधूरा जीवन बिता के अभी तो कुछ ही दिन हुए थे कौशिकी बोलती है कि ऐसा मत बोलिए स्वामी फिर पास के देवगुरु से मिलती हैं तो उनसे भी कोई मदद नहीं मिलती है फिर पास के एक दुर्गा मंदिर जाती है तो माता का आराधना करने के बाद अकाशवाणी होती है कि अगर सूर्यास्त तक तुम्हारे पति की मृत्यु निश्चित है तो तो तुम चाहोगी तो सूर्योदय होगा ही नहीं अपनी शक्ति को पहचानो तुम एक सती नारी हो जैसा चाहोगी वैसा ही होगा फिर सती कौशिकी ऐसा ही करती हैं